दोहरी हुई कमर अब अकेले अपने दर्द को जीती है बैंगनी आकाश है,घुमड़ते मेघ हैं पर कौन लौटाऐगा मेरा ... दोहरी हुई कमर अब अकेले अपने दर्द को जीती है बैंगनी आकाश है,घुमड़ते मेघ हैं ...
हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ... हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ...
जो लिखे थे पत्र वो भेजे नहीं। जो लिखे थे पत्र वो भेजे नहीं।
सहेजकर दिल में अक्षर-अक्षर सहेजकर दिल में अक्षर-अक्षर
सपनों का यह जहाँ होगा सिर्फ तेरे लिये और मेरे लिये। सपनों का यह जहाँ होगा सिर्फ तेरे लिये और मेरे लिये।
मैंने प्रेम किया मैंने प्रेम किया